हिंदू धर्म में ''एकादशी व्रत'' महत्वपूर्ण तिथि है।
एकादशी व्रत की बड़ी महिमा है। एक ही दशा में रहते हुए अपने आराध्य देव का पूजन व वंदन
करने की प्रेरणा देने वाला व्रत ही एकादशी व्रत कहलाता है। पद्म पुराण के अनुसार स्वयं
महादेव ने नारद जी को उपदेश देते हुए कहा था, एकादशी महान पुण्य देने वाली होती है।
कहा जाता है कि जो मनुष्य एकादशी का व्रत रखता है उसके पितृ और पूर्वज कुयोनि को त्याग
स्वर्ग लोक चले जाते हैं। हिन्दू धर्म के पंचांग की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते
हैं। एकादशी संस्कृत भाषा से लिया गया शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘ग्यारह’। प्रत्येक महीने में एकादशी
दो बार आती है–एक शुक्ल
पक्ष के बाद और दूसरी कृष्ण पक्ष के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण
पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं।
प्रत्येक पक्ष की एकादशी का अपना अलग महत्व है। वैसे तो सनातन धर्म में ढेर सारे व्रत
आदि किए जाते हैं लेकिन इन सब में एकादशी का व्रत सबसे पुराना माना जाता है। सनातन
धर्म में इस व्रत की बहुत मान्यता है।
एकादशी व्रत लिस्ट 2020
एकादशी का
नाम
|
माह
|
दिनाँक
|
दिन
|
पुत्रदा एकादशी
|
पौष शुक्ल पक्ष
|
6 जनवरी
|
सोमवार
|
षटतिला एकादशी
|
माघ कृष्ण पक्ष
|
20 जनवरी
|
सोमवार
|
जया एकादशी
|
माघ शुक्ल पक्ष
|
5 फरवरी
|
बुधवार
|
विजया एकादशी
|
फाल्गुन कृष्ण पक्ष
|
19 फरवरी
|
बुधवार
|
आमलकी एकादशी
|
फाल्गुन शुक्ल पक्ष
|
6 मार्च
|
शुक्रवार
|
पापमोचनी एकादशी
|
चैत्र कृष्ण पक्ष
|
20 मार्च
|
शुक्रवार
|
कामदा एकादशी
|
चैत्र शुक्ल पक्ष
|
4 अप्रैल
|
शनिवार
|
वरुथिनी एकादशी
|
वैशाख कृष्ण पक्ष
|
18 अप्रैल
|
शनिवार
|
मोहिनी एकादशी
|
वैशाख शुक्ल पक्ष
|
4 मई
|
सोमवार
|
अपरा एकादशी
|
ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष
|
18 मई
|
सोमवार
|
निर्जला एकादशी
|
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष
|
2 जून
|
मंगलवार
|
योगिनी एकादशी
|
आषाढ़ कृष्ण पक्ष
|
17 जून
|
बुधवार
|
देवशयनी (हरिशयनी) एकादशी
|
आषाढ़ शुक्ल पक्ष
|
1 जुलाई
|
बुधवार
|
कामिका एकादशी
|
श्रावण कृष्ण पक्ष
|
16 जुलाई
|
बुधवार
|
पवित्रा एकादशी
|
श्रावण शुक्ल पक्ष
|
30 जुलाई
|
बृहस्पतिवार
|
अजा एकादशी
|
भाद्रपद कृष्ण पक्ष
|
15 अगस्त
|
शनिवार
|
पदमा एकादशी
|
भाद्रपद शुक्ल पक्ष
|
29 अगस्त
|
शनिवार
|
इन्दिरा एकादशी
|
शुद्ध आश्विन कृष्ण पक्ष
|
13 सितंबर
|
रविवार
|
पुरुषोत्तम एकादशी
|
अधिक आश्विन शुक्लपक्ष
|
27 सितंबर
|
रविवार
|
पुरुषोत्तम एकादशी
|
अधिक आश्विन कृष्णपक्ष
|
13 अक्तूबर
|
मंगलवार
|
पापांकुशा एकादशी
|
शुद्ध आश्विन शुक्ल पक्ष
|
27 अक्तूबर
|
मंगलवार
|
रमा एकादशी
|
कार्तिक कृष्ण पक्ष
|
11 नवम्बर
|
बुधवार
|
देवप्रबोधिनी (हरिप्रबोधिनी)एकादशी
|
कार्तिक शुक्ल पक्ष
|
26 नवम्बर
|
बृहस्पतिवार
|
उत्पन्ना एकादशी
|
मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष
|
11 दिसंबर
|
शुक्रवार
|
मोक्षदा एकादशी
|
मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष
|
25 दिसंबर
|
शुक्रवार
|
एकादशी का महत्व :-
एकादशी को ‘हरी दिन’ और ‘हरी वासर’ के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा
जाता है कि एकादशी व्रत हवन, यज्ञ, वैदिक कर्म-कांड आदि से भी अधिक फल देता है। इस
व्रत को रखने की एक मान्यता यह भी है कि इससे पूर्वज या पितरों को स्वर्ग की
प्राप्ति होती है। जो भी व्यक्ति इस व्रत को रखता है उनके लिए एकादशी के दिन
गेहूं, मसाले और सब्जियां आदि का सेवन वर्जित होता है। भक्त एकादशी व्रत की तैयारी
एक दिन पहले यानि कि दशमी से ही शुरू कर देते हैं। दशमी के दिन श्रद्धालु प्रातः
काल जल्दी उठकर स्नान करते हैं और इस दिन वे बिना नमक का भोजन ग्रहण करते हैं।
एकादशी व्रत का भोजन :-
शास्त्रों
के अनुसार श्रद्धालु एकादशी के दिन आप भोजन में फल, मेवे, चीनी, कुट्टू, नारियल,
जैतून, दूध, अदरक, काली मिर्च, सेंधा नमक, आलू, साबूदाना और शकरकंद आदि ले सकते
है। एकादशी व्रत का फलाहार सात्विक होना चाहिए। कुछ व्यक्ति यह व्रत बिना पानी पिए
संपन्न करते हैं जिसे निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है।
एकादशी
को क्या न करें ?
- पेड़ो से पत्ते न तोड़ें। पेड़ की शाखाओ से घिरे हुआ पत्ते ही इस्तेमाल करे।
- घर में झाड़ू न लगाएं। क्युकी घर में झाड़ू आदि लगाने से चीटियों या छोटे-छोटे जीवों के मरने का डर होता है। और इस दिन जीव हत्या करना पाप होता है।
- मनुष्य बाल नहीं कटवाएं।
- जब ज़रूरत हो तभी बोलें। कम से कम बोलने की कोशिश करें। ऐसा इसीलिए किया जाता है क्यूंकि ज्यादा बोलने से मुँह से गलत शब्द निकलने की संभावना रहती है।
- एकादशी के दिन चावल का सेवन भी वर्जित होता है।
- किसी का दिया हुआ अन्न आदि न खाएं। मन में किसी प्रकार का विकार न आने दें।
- यदि कोई फलाहारी है तो वे गोभी, पालक, शलजम आदि का सेवन न करें। वे आम, केला, अंगूर, पिस्ता और बादाम आदि का सेवन कर सकते है।
एकादशी व्रत को मनाये जाने के पीछे कोई न कोई धार्मिक
वजह छुपी होती है। हर एकादशी व्रत मनाने के पीछे भी कई कहानियां है। एकादशी व्रत कथा
को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। सभी एकादशियों के पीछे अपनी अलग कहानी छुपी है। एकादशी
व्रत के दिन उससे जुड़ी व्रत कथा सुनना अनिवार्य होता है। शास्त्रों के अनुसार बिना
एकादशी व्रत कथा सुने व्यक्ति का उपवास पूरा नहीं होता है।
0 comments:
Post a Comment