सोलर कुकर (Solar Cooker)- हर घर में आए सोलर कुकर

सौर कुकर या सौर चूल्हा (सोलर कूकर) ऐसी चूल्हा है जो सूरज के प्रकाश एवं उष्मा की उर्जा से भोजन को पकाता है। क्युकी सौर चूल्हे में किसी ईंधन की आवश्यकता नहीं होती इसलिए उन्हें चलाने के लिये कोई खर्च नहीं आता, इस कारण से मानवतावादी संस्थाएं इनका कम दामों पर वितरण करके वनों के विनाश एवं मरूस्थलीकरण की प्रक्रिया को कम करने का काम कर रही हैं। 

Solar Cooker

 

 हर घर में हो सोलर कुकर

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पिछले दिनों अपने जिन प्रयासों के कारण चैंपियन्स ऑफ अर्थ का सम्मान मिला था उनमें से एक है - देश-दुनिया में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना। उसी दिशा में आज की पोस्ट। हमारे घरों में सूर्य का प्रकाश हर ऋतु में पर्याप्त होता है। कुकिंग गैस की दिन प्रतिदिन बढ़ती कीमतों को ध्यान में रखते हुए, पूरे देश में सोलर कुकर या सौर चूल्हा सर्व प्रयोगी बन सकता है। इससे अपना देश ईंधन की दृष्टि से अधिक आत्म निर्भर होगा। सौर कुकर को रखने के लिए घर में खुली जगह भी मिल ही जाती है। इसके प्रयोग से किसी तरह का प्रदूषण भी नहीं होता। भोजन भी इसमें परम सात्विक, अलौकिक स्वाद का बनता है। पौष्टिकता भी बनी रहती है। इस दृष्टि से यह हर घर में तो होना ही चाहिए। 

सोलर कुकर क्या है ?

सोलर कुकर एक ऐसा डिवाइस है जो भोजन को पकाने, सेंकने और भूनने के लिए सीधे धूप देता है। सौर कुकर के लिए कई अलग-अलग डिज़ाइन स्‍टाइल हैं, लेकिन वे सभी आम हैं जिनमें कोई ईंधन का उपयोग नहीं किया जाता और केवल सौर ऊर्जा का उपयोग करके भोजन बनाया जाता है।

सोलर कुकर वह उपकरण है जो खाना पकाने के लिये सूर्य की ऊर्जा का उपयोग करता है। इसके कई लाभ हैं, जो इस प्रकार हैं:-
सोलर कुकर के लिया रसोई गैस, मिट्टी तेल, विद्युत ऊर्जा, कोयले अथवा लकड़ी की कोई आवश्यकता नहीं होती।
ईंधन पर कोई खर्चा करने की आवश्यकता नहीं है। सौर ऊर्जा मुफ्त उपलब्ध होती है।
सोलर कुकर में पका हुआ खाना पोषक होता है। इसमें पारंपरिक खाना पकाने के साधनों की तुलना में प्रोटीन की मात्र 20 से 30 प्रतिशत अधिक होती है। इसकी विटामिन को भोजन में बनाए रखने की क्षमता 20 से 30 प्रतिशत होती है जबकि विटामिन ए 5 से 10 प्रतिशत तक अधिक रहता है।
सोलर रसोई प्रदूषण मुक्त व सुरक्षित होती है। इससे वातावरण को भी फायदा होता है
सोलर कुकर अनेक आकारों में मिलते हैं। घर में सदस्यों की संख्या के आधार पर सोलर कुकर का चयन किया जा सकता है।
समस्त रसोई के प्रकार जैसे उबालना, सेंकना आदि इस कुकर पर किये जा सकते हैं।
सरकार के द्वारा सोलर कुकर की खरीद पर सब्सिडी की योजनाएं भी हैं। ये योजनाएं अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग हैं जिनके बारे में जानकारी संबंधित विभाग से ली जा सकती है।


 

सोलर कुकर मेंकुकिंग कैसे काम करता है ?

सौर कुकर सूर्य की UV प्रकाश की किरणों को अंदर आने देता है और फिर उन्हें लंबी इंफ्रारेड प्रकाश किरणों में परिवर्तित कर देता है जो बाहर नहीं निकल सकती। भोजन में पानी, वसा और प्रोटीन अणु बनाने के लिए इन्फ्रारेड रेडिएशन की ऊर्जा सही होती है। 

सौर ऊर्जा खाना पकाने के काम को प्रक्रिया के निम्नलिखित सरचना के माध्यम से और साथ ही उपरोक्त चित्रों के माध्यम से समझाया जा सकता है।

सबसे पहले, आपको ढक्कन के साथ एक काले लिड के बर्तन की आवश्यकता होती है। यह एक कच्चा लोहा डच ओवन जैसा एक बर्तन हो सकता है, एक काला एनामेल्ड रोस्टिंग पैन जैसे चिकन या टर्की रोस्टर या कोई भी पॉट जिसे आप गैर विषैले, वेदरप्रूफ पेंट के साथ बाहर से काला कर सकते हैं। काली सतह बहुत गर्म हो जाती है; वे चमकदार सतहों की तुलना में अधिक तेजी से गर्मी करते हैं।

फिर एक पारदर्शी आवरण प्राप्त करने की आवश्यकता होगी जैसे कि एक बड़ा कांच का कटोरा या एक टिकाऊ प्लास्टिक ओवन खाना पकाने की थैली होती है । इसका उपयोग ऊष्मा के अवधारण के लिए किया जाएगा और सूरज की किरणों को भी काले खाना पकाने के बर्तन और भोजन में प्रवेश करने में सक्षम होने की अनुमति देगा, इस प्रकार खाना पकाने के तापमान को बढ़ाता हैं और बाहर निकल रही गर्मी को रोकता हैं।

आगे एक ऐसी सामग्री की आवश्यकता होगी जो सूर्य की किरणों को केंद्रित करने के लिए खाना पकाने के डिवाइस की ओर अतिरिक्त धूप को प्रतिबिंबित करें। यह आमतौर पर प्रतिबिंबित सतह के कुछ प्रकार के रूप में पूरा किया जाता है जैसे दर्पण, एल्यूमिनियम पन्नी और बफ़ड टिन या शीट धातु। एक परावर्तक सतह की सहायता से आप तापमान बढ़ा सकते हैं और भोजन को अधिक तेजी से पका सकते है।

 

Solar Cooker

सोलर कुकर से खाना कैसे बनाया ?

सबसे पहले दाल बाटी चूरमा, जो खाये सो सूरमा करना यह है कि सोलर कुकर के एक बर्तन में चार लोगों के लिए दो तीन तरह की दाल, सभी मसाले - गर्ममसाला, हींग-जीरा समेत, कटा हुआ हरा धनिया-मिर्ची, अदरक और  घी अनुमान से डाल इनके ऊपर दो अंगुल ऊपर तक जल डाल दें और छक्कन मजबूती से ढंक कर सोलर कुकर में रख दें। इसमें बनी दाल को अलग से छौंक लगाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। अब बाटी के लिए चार लोगों के लिए ही आटे में नमक, मोइन के लिए अच्छा, पर्याप्त मात्रा में घी लें। पर्याप्त मात्रा में इसलिए लिखा है कि इससे इसमें बाटी अत्यंत मुलायम बनती है। सब वस्तुओं को अच्छे से मिला थोड़े से जल में गूंथें। आटा अधिक ढीला या कसा हुआ न हो, मध्यम ही रहे। अब छोटी छोटी बाटी बना उन्हें चार में से शेष तीन बर्तनों की दीवारों और पेंदे पर चिपका दें। बाटी वाले बर्तनों को ढक्कन नहीं लगाना, खुला ही रखना है। कुकर के पारदर्शी कांच का ढक्कन बंद कर कुंडी लगा दें। सोलर कुकर को धकेल कर बालकनी, चौक या छत ऐसी जगह पर रख दें जहां इसे कम से कम एक और अधिकतम दो घंटा कड़ी धूप मिले। इतना समय तो यों भी दाल बाटी बनाने में प्रायः लगता ही है। 

ध्यान रहे कि सूर्य की बदलती स्थिति के अनुसार इस पर सूर्य की किरणें पर्याप्त, सीधी पड़ें। अब आप घर के दूसरे जरूरी कार्य कर सकते हैं। आते जाते देखते रहें कि बाटियों का रंग गहरा सुनहरा हो गया है अथवा नहीं। मन की संतुष्टि के लिए दाल का एक घंटे बाद ढक्कन खोल कर निरीक्षण भी कर सकते हैं। सौर चूल्हे और दाल के बर्तन का ढक्कन सीधे हाथों से खोलने पर हाथ जलेगा। कपड़ा साथ में रखना पड़ेगा। ढक्कन न भी खोलें तो एक घंटे पश्चात सीझती दाल और सिकती बाटी की सूचना हवा स्वयं सुगंध के साथ पूरे घर में आप तक पहुंचायेगी। सिकी हुई बाटियां बाहर निकाल उनमें से चूरमे जितनी बाटियां अलग रख लें। शेष को एक बर्तन में डाल उन पर घी डाल दें। चूरमा बनाने के लिए उतनी बाटियों को मसल कर उनमें घी, बूरा, इलायची, मेवा आदि डाल लड्डू बना लें।
शीत ऋतु में सौर चूल्हे के प्रयोग का सर्वश्रेष्ठ समय सुबह दस बजे से दोपहर तीन बजे तक का है। सौर चूल्हे की विशेषता यह कि इसमें कोई खाद्य सामग्री जलती नहीं और न ही उसका स्वाद बिगड़ता है। अगर कोई खाद्य सामग्री तत्काल काम में नहीं लेनी है तो उसे सौर चूल्हे में ही पड़ी रखें। यह तब तक गर्म ही रहेगी। सौर चूल्हे में अगली बार क्या बनाना है, इसकी योजना पहले से बना लीजिये।

सोलर कुकर लागत :- इसकी लागत 2,500 से 4,000 रुपए तक होती है। ये आकार व मॉडल पर भी निर्भर करती है।

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